The Shodashi Diaries

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दिव्यौघैर्मनुजौघ-सिद्ध-निवहैः सारूप्य-मुक्तिं गतैः ।

श्री-चक्रं शरणं व्रजामि सततं सर्वेष्ट-सिद्धि-प्रदम् ॥९॥

काञ्चीवासमनोरम्यां काञ्चीदामविभूषिताम् ।

The essence of such rituals lies inside the purity of intention and also the depth of devotion. It is far from simply the exterior steps but the internal surrender and prayer that invoke the divine presence of Tripura Sundari.

क्लीं त्रिपुरादेवि विद्महे कामेश्वरि धीमहि। तन्नः क्लिन्ने प्रचोदयात्॥

ह्रीं‍मन्त्राराध्यदेवीं श्रुतिशतशिखरैर्मृग्यमाणां मृगाक्षीम् ।

The Mantra, On the flip side, is actually a sonic illustration in the Goddess, encapsulating her essence through sacred syllables. Reciting her Mantra is believed to invoke her divine existence and bestow blessings.

Goddess Shodashi has a third eye on the forehead. She is clad in red costume and richly bejeweled. She sits over a lotus seat laid on the golden throne. She is shown with four arms wherein she retains 5 arrows of bouquets, a noose, a goad and sugarcane as being a bow.

While in the pursuit of spiritual enlightenment, the journey starts While using the awakening of spiritual consciousness. This initial awakening is vital for aspirants who are on the onset in their route, guiding them to acknowledge the divine consciousness that permeates all click here beings.

कर्तुं मूकमनर्गल-स्रवदित-द्राक्षादि-वाग्-वैभवं

॥ अथ श्रीत्रिपुरसुन्दरी अपराध क्षमापण स्तोत्रं ॥

ह्रीं ह्रीं ह्रीमित्यजस्रं हृदयसरसिजे भावयेऽहं भवानीम् ॥११॥

इसके अलावा त्रिपुरसुंदरी देवी अपने नाना रूपों में भारत के विभिन्न प्रान्तों में पूजी जाती हैं। वाराणसी में राज-राजेश्वरी मंदिर विद्यमान हैं, जहाँ देवी राज राजेश्वरी(तीनों लोकों की रानी) के रूप में पूजी जाती हैं। कामाक्षी स्वरूप में देवी तमिलनाडु के कांचीपुरम में पूजी जाती हैं। मीनाक्षी स्वरूप में देवी का विशाल भव्य मंदिर तमिलनाडु के मदुरै में हैं। बंगाल के हुगली जिले में बाँसबेरिया नामक स्थान में देवी हंशेश्वरी षोडशी (षोडशी महाविद्या) नाम से पूजित हैं।

पञ्चब्रह्ममयीं वन्दे देवीं त्रिपुरसुन्दरीम् ॥५॥

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